"नया सवेरा-उम्मीद नयी"
#YearEndEchoes
फिसलती हुई रेत जैसे,ये साल भी गुज़र गया !
चंद लम्हे हो बिते जैसे,बातों में ही निकल गया।
बनी कुछ मीठी यादें तो, कुछ कड़वे बोल भी सुने हैं!
आनेवाले...
फिसलती हुई रेत जैसे,ये साल भी गुज़र गया !
चंद लम्हे हो बिते जैसे,बातों में ही निकल गया।
बनी कुछ मीठी यादें तो, कुछ कड़वे बोल भी सुने हैं!
आनेवाले...