...

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उम्र का झ्क पड़ाव
उम्र का एक पड़ाव निकल गया है
इश्क है कि अपनी जड़े पकड़े खड़ा है
माना की ये मुझे कुछ अश्क दे जाता है
पर ये मेरे वजूद से जुड़ गया है
इश्क बिन मैं खाली खाली
इश्क नही तो बस हूँ एक सवाली
वो जो मुझे उड़ा कर ले जाता है कैद से
हर पड़ाव पर मिलता है मुस्तैद से
ढूंढोगे जब भी तुम मुझे यार
देने को होगा उस वक्त भी प्यार
© बावरामन " शाख"