...

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दुल्हन
लाल जोड़े में सोलह सिंगार से सज रही वह दुल्हन ,

अपने जीवन की डोर को , साजन के साथ बांधने चली है !

पिया के नाम की मेहंदी वह , अपने हाथों में रचाने चली है !

कई अरमानों को लेकर वह , अपना घर बसाने चली है !

नए घर में जाने की खुशियां , अपने घर से विदाई का दुख !

दोनों द्वंद को मन में वह दुल्हन , दरवाजे की दहलीज पर खड़ी है !

पता नहीं क्या हाल होगा , कैसा क्या वहां का माहौल होगा !

दिल खोलकर वह अपना , सारे रिश्तो को अपनाएगी !

किसी की भाभी , किसी की चाची , तो किसी की मामी कहलाएगी !

और पुराने रिश्तो के लिए , बस यादें छोड़ जाएगी !

पिया के घर की लक्ष्मी और अन्नपूर्णा वह कहलाएगी !

माता-पिता के दिए संस्कारों से वह, उनका मान - सम्मान बढ़ाएगी !

अपना संसार छोड़कर वह , एक नया संसार बसाएगी !

© Rachna pagare