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स्त्री की अकेलापन
घर पर रहने वाली
इक स्त्री की अकेलापन को
महसूस नहीं कर पाता ,,,
इक पुरूष
खास कर वो पुरूष
जो बहार लोगो के भीड़ में
रहता हैं ,,,
वे लोग कभी ये समझ नहीं सकता
स्त्रियां भी थक जाती हैं
घर की जम्मेदारिया उठाते उठाते,,,
उनकी भी मन होता हैं साथ में बैठ कर दो बातें करने की
पत्नी को भी उनसे थोड़ा ध्यान चाहिए
उनका थोड़ा सा वक्त चाहिए
और उनका थोड़ा सा प्यार चाहिए होता हैं
लेकिन ये बात कभी नहीं समझते कुछ पुरूष
© All Rights Reserved
इक स्त्री की अकेलापन को
महसूस नहीं कर पाता ,,,
इक पुरूष
खास कर वो पुरूष
जो बहार लोगो के भीड़ में
रहता हैं ,,,
वे लोग कभी ये समझ नहीं सकता
स्त्रियां भी थक जाती हैं
घर की जम्मेदारिया उठाते उठाते,,,
उनकी भी मन होता हैं साथ में बैठ कर दो बातें करने की
पत्नी को भी उनसे थोड़ा ध्यान चाहिए
उनका थोड़ा सा वक्त चाहिए
और उनका थोड़ा सा प्यार चाहिए होता हैं
लेकिन ये बात कभी नहीं समझते कुछ पुरूष
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