...

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अनजान शहर
#खोईशहरकीशांति

मैं यही हूँ सब वही हैं, बस नज़रिए में बदलाव हैं
अब रही वो बच्ची नही हूं, जिसके सुकून से दिन और रात हैं

अब तक अपना घर था मेरा अपना ही था एक जहान...
लेकिन अब ये छोटा लगता हैं, इस सोच को नही जचता हैं

अब निकली जो इस मकान से तो शहर ये बैगाना हैं, तलाश में हूँ...