इक़रार के किस्से ☺️
सूखते गुलाबों में ओंस की बूंदों सी
मैं ठहर गई
जब महक तेरे इश्क़ की
मेरे जिस्म को महका गई
होश भी कुछ कुछ खोने लगा था
हल्का हल्का सा सुरूर
जब से छाने लगा था
हम रहे न अब हम
सब आपकी...
मैं ठहर गई
जब महक तेरे इश्क़ की
मेरे जिस्म को महका गई
होश भी कुछ कुछ खोने लगा था
हल्का हल्का सा सुरूर
जब से छाने लगा था
हम रहे न अब हम
सब आपकी...