...

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बुलंद हौसले

इन जंजीरों को तोड़कर,
रुख हवा का मोड़कर,
चल रहे हैं देखो हम,
कदम से कदम मिलाकर;
डर नहीं किसी तूफ़ान का,
ना ही आंधी बरसात का,
ठंढ़ क्या डराएगी हमें,
उसे है डर...