...

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प्रेम
पुरुष ने जब जब प्रेम अग्नि लगाई ।
नारी हर बार जली।

कभी राधा बनकर राह तकती रही ।
तो कभी सीता बनकर अग्नि परीक्षा दी ।
कभी मीरा ,,दीवानी हो गई ।
तो शंकतुला अपमान की भागीदारी हुई।

कामदेव के प्रेम में रति।
और पति संग प्रेम में सती ।
हर बार जली आखिर कब तक नारी ये परीक्षा देती रहेगी ।
कांटो से भरी राहों में ,कालिया बखेरती रहेगी ।

© Sarthak writings