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खबर थी के रात हमसे मिलेगी...
खबर थी के रात हमसे मिलेगी
दौड़ दिनभर की
ना आए तुम, हाथ फिर भी
अब तन्हाई के साथ हमसे मिलेगी
खबर थी के रात....
अमावस के अंध में
चांद कहीं खो गया,
अब अकेले तारों के साथ हमसे मिले
खबर थी के रात....
इशारों का भरोसा कर
भरोसे में रहा दिल ये
अब टूटे खाबों के जनाजे में
शरीक होने के साथ हमसे मिलेगी
खबर थी के रात......
दौड़ दिनभर की
ना आए तुम, हाथ फिर भी
अब तन्हाई के साथ हमसे मिलेगी
खबर थी के रात....
अमावस के अंध में
चांद कहीं खो गया,
अब अकेले तारों के साथ हमसे मिले
खबर थी के रात....
इशारों का भरोसा कर
भरोसे में रहा दिल ये
अब टूटे खाबों के जनाजे में
शरीक होने के साथ हमसे मिलेगी
खबर थी के रात......
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