शायर
उसके कई चाहने वाले हैं,
सो हम भी उससे महोब्बत करके देखते हैं,
क्या मुझ पर भी सांप के।जहर का असर होता है,
वो तो है तितलियों की तरह ,
एक फूल से दूसरे फूल जा बैठता है,
मै हु एक कागजी परिंदा ,
मुझे बारिस में भीग जाने का डर होता है।
माँ हर रोज सुबह बेरोजगार बेटे की जेब टटोलती है,
कहि उसकी जेब से जहर निकलने का डर...
सो हम भी उससे महोब्बत करके देखते हैं,
क्या मुझ पर भी सांप के।जहर का असर होता है,
वो तो है तितलियों की तरह ,
एक फूल से दूसरे फूल जा बैठता है,
मै हु एक कागजी परिंदा ,
मुझे बारिस में भीग जाने का डर होता है।
माँ हर रोज सुबह बेरोजगार बेटे की जेब टटोलती है,
कहि उसकी जेब से जहर निकलने का डर...