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वक्त
ए वक्त! क्या कहानी है तेरी।
ना तू रुकता है, ना ही किसी को रुकने देता है
तेरे ना रुकने पर भी हर कोई आगे बढ़ता नहीं
बढ़ना तो हर कोई चाहता है, पर वक्त नहीं,
क्यू किसी के पास वक्त नही जब तू रुकता नहीं।
ए वक्त! क्या कहानी है तेरी।
सपने हर किसी के होते हैं, पर सपने ही रहते हैं
रुक जाते है वो,वक्त को कोसकर
क्या गलती हैं तेरी जब तू, रुकता नहीं।
ए वक्त! क्या कहानी है तेरी।
बैठे बैठे ही बीत जाती हैं जिंदगी सारी, पर कुछ करना चाहो तो उसके लिए वक्त नहीं
क्या करते हैं वो लोग जिनके पास लक्ष्य नहीं
ए वक्त! क्या कहानी है तेरी।
वक्त सबके पास है ,पर उपयोग नही
उपयोग सभी चाहते है, पर चैन नही
चैन का वक्त नही, वक्त में चैन नही।
ए वक्त! क्या कहानी है तेरी।
तेरी अहमियत सबको पता है,पर अनजान बनकर रह जाते है
इंसान की इस मनोदशा को झकझोर रखा है तूने कि कोई समझ नहीं पाया है कहानी को तेरी।
ए वक्त! क्या कहानी है तेरी।
ना तू रुकता है, ना ही किसी को रुकने देता है
तेरे ना रुकने पर भी हर कोई आगे बढ़ता नहीं
बढ़ना तो हर कोई चाहता है, पर वक्त नहीं,
क्यू किसी के पास वक्त नही जब तू रुकता नहीं।
ए वक्त! क्या कहानी है तेरी।
सपने हर किसी के होते हैं, पर सपने ही रहते हैं
रुक जाते है वो,वक्त को कोसकर
क्या गलती हैं तेरी जब तू, रुकता नहीं।
ए वक्त! क्या कहानी है तेरी।
बैठे बैठे ही बीत जाती हैं जिंदगी सारी, पर कुछ करना चाहो तो उसके लिए वक्त नहीं
क्या करते हैं वो लोग जिनके पास लक्ष्य नहीं
ए वक्त! क्या कहानी है तेरी।
वक्त सबके पास है ,पर उपयोग नही
उपयोग सभी चाहते है, पर चैन नही
चैन का वक्त नही, वक्त में चैन नही।
ए वक्त! क्या कहानी है तेरी।
तेरी अहमियत सबको पता है,पर अनजान बनकर रह जाते है
इंसान की इस मनोदशा को झकझोर रखा है तूने कि कोई समझ नहीं पाया है कहानी को तेरी।
ए वक्त! क्या कहानी है तेरी।
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