तुम्हारी याद,,,,
मैंने अक्सर तुम्हें सोचा है साहिब,,,
सर्दियों की मखमली गर्माहट में
और मीठी-मीठी सी तुम्हारी मुस्कराहट में
लिहाफ में बेतरतीबी से खुद को समेटे हुए
ठंडे हाथ पैरों को गर्म...
सर्दियों की मखमली गर्माहट में
और मीठी-मीठी सी तुम्हारी मुस्कराहट में
लिहाफ में बेतरतीबी से खुद को समेटे हुए
ठंडे हाथ पैरों को गर्म...