...

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कबूतर
वो खुद को दोस्त कहते हैं,
मुझे उनमें कबूतर दिखता है,
जो खंडहर को भी उजाड़ दे,
वो मेरा गुलशन संवारने का वादा करता है।
राज नहीं मेरे कुछ खास,
बस कुछ यादों का सहारा है,
वो जो शब्दों की हेरा फेरी करता है,
मेरे गमों पर पर्दे का वादा करता है।
© Anamika Tripathi