अक्षामा
ऐसे ही नहीं बनता कोई अक्षामा -
अपने ज़मीर को जगाना पड़ता है !
अपनों का लहू जब गिरता है ;
इक हूक-सी दिल में उठती है !
गिरे हुए लहू का इक-इक कतरा
तब रक्तबीज बन फलता है !
जब...
अपने ज़मीर को जगाना पड़ता है !
अपनों का लहू जब गिरता है ;
इक हूक-सी दिल में उठती है !
गिरे हुए लहू का इक-इक कतरा
तब रक्तबीज बन फलता है !
जब...