...

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ख़्वाब में
एक ख़्वाब देखा मैंने ख़्वाब में,
मिल रहे थे उनसे हम,मगर ख़्वाब में।

हम कर रहे थे तारीफ सितारों की,
तभी बगल से चाँद गुजरा, मगर ख़्वाब में।

बह रही थी प्यार की दरिया मेरे सामने,
मैं फिर भी प्यासा था, मगर ख़्वाब में।

मिली जो नज़रे तो कुछ ऐसा हुआ,
वो पलके झुकाई, मगर ख़्वाब में।

छा गया अंधेरा एकाएक चारों तरफ,
शायद जुल्फ़े लहराई ख़्वाब में।

मुझे ना चैन था, ना होश था,
मैं बेचैन था, बेहोश था लेकिन ख़्वाब में ।