#जिंदगी #सातत्य
खूद से किया वादा स्वयं ही तोडोगे क्या ?
ऐसे फिर मंजिल कभी पहूँच पाओगे क्या ?
अपने मन मस्तिष्क पर भी संशय कर पाओगे क्या ?
अपने दिल के अरमानों का गला कभी घोंट पाओगे क्या ?
सोच सोचकर हमेशा दूख-दर्द से कराहते रहोगे क्या ?...
ऐसे फिर मंजिल कभी पहूँच पाओगे क्या ?
अपने मन मस्तिष्क पर भी संशय कर पाओगे क्या ?
अपने दिल के अरमानों का गला कभी घोंट पाओगे क्या ?
सोच सोचकर हमेशा दूख-दर्द से कराहते रहोगे क्या ?...