एक ग़ज़ल उसके नाम 🖤
अखबारें हर रोज किस्से मुख़्तसर सुनाती है
विशाल ज़ालिम ज़िन्दगी हमें अक्सर रुलाती है
काफ़िर ज़िन्दगी भी तो उसकी ही तरह है
हुसन पर ऐतराती कमबख्त बेवज़ह सताती है
ना चाहने की कोई वजह भी तो नहीं
माना थोड़ी ज़िद्दी मगर आरज़ू है वही
वोह इज़हार ऐ...
विशाल ज़ालिम ज़िन्दगी हमें अक्सर रुलाती है
काफ़िर ज़िन्दगी भी तो उसकी ही तरह है
हुसन पर ऐतराती कमबख्त बेवज़ह सताती है
ना चाहने की कोई वजह भी तो नहीं
माना थोड़ी ज़िद्दी मगर आरज़ू है वही
वोह इज़हार ऐ...