...

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इस सफर में जिन्दगी कही रूक सी गई
Please read my whole poem🙏🙏

इस सफर में जिन्दगी कही रूक सी गई""""
ना रूकना था मुझे,,,
बस दौडना था मुझे,,,
मेरी जिन्दगी कही बन्द दरवाजे के कमरे में कैद हो गई"""
इस सफर में जिन्दगी कही रूक सी गई।
डर से जीतना था मुझे,,,
इस कैद से डर लगता है अब मुझे,,,
थी मैं आजाद पन्क्षी की तरह, अब पिंजरें में कैद हूं कही""""
मेरी जिन्दगी कुछ पन्नों में सिमट सी गई"""
इस सफर में जिन्दगी कही रूक सी गई।
चाह है निकल जाऊ इस सफर से दूर कही मै,,,,
तोड़ दूं सारे पिंजरो को, जिसमें कैद हूं मै,,,,
निकल जाऊं इस डर से जिससे बधी हूं मै,,,
भागते हुए इस जंजीर से दूर जा मै ठहर सी गई"""
इस सफर में जिन्दगी कही रूक सी गई।


THANK YOU SO MUCH 🙏🙏