...

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"घटते फ़ासले"
घटते फ़ासले बढ़ती मोहब्बत,
ज़िन्दगी तुझपे निसार की..!

कसमें वादे चाहतों के इरादे,
तमन्नाओं की ज़िन्दगी प्यार की..!

जन्मों के बँधन खिलते यूँ मन,
उपवन की उपमा ऐतबार की..!

खिलती ख़्वाहिशें मिलते हम तुम,
ख़्यालों की दुनिया क़लमकार की..!

तारीफ़ों के पुल बिगाड़े रौनक,
अलग अलग किरदार की..!

एहसासों को अल्फ़ाज़ों में पिरो,
सँजोई दुनिया इंतज़ार की..!

दिल की दहलीज़ पे क़दम तुम्हारे,
तस्वीर दिखी दिलदार की..!
© SHIVA KANT