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"धैर्य की डोर"
धैर्य की डोर टूटने न देना,
ख़ुद को जीवन से रूठने न देना..!
वरना ज़िन्दगी फिसलने लगेगी हाथों से ऐसे,
फिसलता है वक़्त बंद मुट्ठी में रेत के जैसे..!
धैर्य ही सिखाता है करना,
विपरीत परिस्थितियों का सामना..!
आज नहीं तो कल पूरी,
हो ही जाएगी मनोकामना..!
असंभव है बिन धैर्य के पानी सफ़लता,
होगा अधीर तो रहेगा हाथ को मलता..!
धैर्य ही इंसान को बुद्ध बनाता है,
मिलावटी व्यव्हार को दूर कर शुद्ध बनाता है..!
© SHIVA KANT
ख़ुद को जीवन से रूठने न देना..!
वरना ज़िन्दगी फिसलने लगेगी हाथों से ऐसे,
फिसलता है वक़्त बंद मुट्ठी में रेत के जैसे..!
धैर्य ही सिखाता है करना,
विपरीत परिस्थितियों का सामना..!
आज नहीं तो कल पूरी,
हो ही जाएगी मनोकामना..!
असंभव है बिन धैर्य के पानी सफ़लता,
होगा अधीर तो रहेगा हाथ को मलता..!
धैर्य ही इंसान को बुद्ध बनाता है,
मिलावटी व्यव्हार को दूर कर शुद्ध बनाता है..!
© SHIVA KANT
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