“ हमनवां साथ बरसातों का ”
न जाने इस मुसाफ़िर दिल की आरज़ू क़्या
ज़र्रे ज़र्रे में शामिल तूं फिर ज़ुस्तज़ू है क़्या,,
आंखों से कह दो या बातों में उलझा दो,
सालों की दूरियां कहां ख़त्म अब बेताबियां,,
आर्जिया मान लूं तेरी...
ज़र्रे ज़र्रे में शामिल तूं फिर ज़ुस्तज़ू है क़्या,,
आंखों से कह दो या बातों में उलझा दो,
सालों की दूरियां कहां ख़त्म अब बेताबियां,,
आर्जिया मान लूं तेरी...