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मौन अपराध
#अपराध
मन मौन व्रत कर अपराध करता है
किस भांति देखो आघात करता है
व्यंग पर गंभीरता का प्रहार करता है

शब्दोको रख मन मे गुंगे सा व्यवहार करता है
नातो की डोर मे गांठ बन जाता है
मन मौन व्रत कर अपराध करता है

मन की कुंठा मन के भितर धरता हैं
उपस्थित रहकर सभा में लुप्त हो जाता है
मन मौन व्रत कर अपराध करता है

मूक मुखोटा पहेनकर वानीको अपंग करता है
स्वराक्षर की नदिया काही दूर छोड देता है
मन मौन व्रत कर अपराध करता है
-vedi_ka