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वफ़ा
रिहा कर दिए परिंदे जो क़ैद थे बरसो से,
बहा दिए अश्क सारे जो क़ैद थे बरसो से,
ज़मीं को आसमां में ढूंढा मैंने हमेशा ही,
फलक पे चमकता तारा देखा है बरसो से,
दर्द उंडेला जब वफ़ा के समंदर में मैंने,
अश्कों की मौज उठती है वहां बरसो से,
एक टूटे मकान की किरायदार हूं मै भी,
जिसका मालिक लौटा नही इधर बरसो से,
बाब ए वफ़ा में सारे इल्ज़ाम हमारे है नूर,
वफ़ा के काफ़िले गुज़रे ही नहीं बरसो से!!
© Noor_313
बहा दिए अश्क सारे जो क़ैद थे बरसो से,
ज़मीं को आसमां में ढूंढा मैंने हमेशा ही,
फलक पे चमकता तारा देखा है बरसो से,
दर्द उंडेला जब वफ़ा के समंदर में मैंने,
अश्कों की मौज उठती है वहां बरसो से,
एक टूटे मकान की किरायदार हूं मै भी,
जिसका मालिक लौटा नही इधर बरसो से,
बाब ए वफ़ा में सारे इल्ज़ाम हमारे है नूर,
वफ़ा के काफ़िले गुज़रे ही नहीं बरसो से!!
© Noor_313
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