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गामा जैसा मजा नहीं
म्हारे गांव की बात बताऊं,
सुनो ध्यान से सब न सुनाऊं,
गामा जैसा मजा नहीं।
सुबह खेत में सैर प जावै,
हरियाली का मजा उठावै,
गामा जैसा मजा नहीं।
हाली खेत में हल चलावै,
पाली जंगल में गऊ चरावै,
दादी कुनबे की खीर बनावै,
सारा कुनबा इकट्ठा खावै,
गामा जैसा मजा नहीं।
दादा बैठक में हुक्का बजावै,
पड़ोस के बुड्ढे ताश खेलना आवै,
दुख सुख की सारी बतलावै,
हंसी ठट्ठे करते जावै,
गामा जैसा मजा नहीं।
© suman
सुनो ध्यान से सब न सुनाऊं,
गामा जैसा मजा नहीं।
सुबह खेत में सैर प जावै,
हरियाली का मजा उठावै,
गामा जैसा मजा नहीं।
हाली खेत में हल चलावै,
पाली जंगल में गऊ चरावै,
दादी कुनबे की खीर बनावै,
सारा कुनबा इकट्ठा खावै,
गामा जैसा मजा नहीं।
दादा बैठक में हुक्का बजावै,
पड़ोस के बुड्ढे ताश खेलना आवै,
दुख सुख की सारी बतलावै,
हंसी ठट्ठे करते जावै,
गामा जैसा मजा नहीं।
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