...

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भटकन
"जो भटक गया मन भटकन में
वो उबर न पाया जीवन भर।
जो निकला नहीं इस भटकन से
वो जी न सका फिर जीवन भर।।
कपटी बातों का जाल बुने
जो पल भर भी ना साथ रहे।
वो कैसा जीवनसाथी है?
जिसके मन में बस स्वार्थ रहे।।
तन भी उज्जवल,मन भी उज्जवल;
ऐसा साथी कहां मिलता है?...