मेरे एहसास!
किसी इल्म के सहारे तो किसी पल के इंतजार के सहारे,
जी रहे हैं हम तो बस तुमसे हुई मुलाकात के सहारे,
कि वो पल ऐसे मिलन का एहसास हैं दो प्राणवायु की!
देखो हम अब तक जिंदा हैं वो पहली बात के सहारे।।
लिखकर उन लम्हों के सहारे तो किसी पल
आसुओं के समुंदर के सहारे,
जी रहे हैं हम जिंदगी में हर एक बीते दिन के सहारे,
कि उसका ना होना मेरा नसीब का एक हिस्सा है!
सलामत है वो..................... सलामत हूं मैं बस,
बस जिंदा हैं हम अबतक इसी सुकून के सहारे।।।
जी रहे हैं हम तो बस तुमसे हुई मुलाकात के सहारे,
कि वो पल ऐसे मिलन का एहसास हैं दो प्राणवायु की!
देखो हम अब तक जिंदा हैं वो पहली बात के सहारे।।
लिखकर उन लम्हों के सहारे तो किसी पल
आसुओं के समुंदर के सहारे,
जी रहे हैं हम जिंदगी में हर एक बीते दिन के सहारे,
कि उसका ना होना मेरा नसीब का एक हिस्सा है!
सलामत है वो..................... सलामत हूं मैं बस,
बस जिंदा हैं हम अबतक इसी सुकून के सहारे।।।