ये भी ज़िंदगी है #
ख़ुशियों की बहार कभी
मुस्कुराहटों की फुहार बरसाती है
जब माँगों सकून के कुछ पल
बेरहमी से ये दुत्कारती है
दो वक़्त की रोटी के लिए
कभी भाग दौड़ कम पड़ जाती है
कभी बिन माँगे देकर सब कुछ हमें,
हैरान भी तो कर देती है
कभी अजनबियों से दे स्नेह दुलार
हमें अमीर बना देती है
कभी अपने अपनों से मिले हुए
आँसुओं में नम कर जाती है
समझने की कोशिश करो कभी
तो और भी उलझा देती है
पहेली सी है ये ज़िंदगी,
बेफिक्र कभी धाराप्रवाह भी बहती है
© संवेदना
#आवृति
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