...

3 views

कल से बेहतर तलाश कर ...
देखता रहा तू तेरा बिता हुआ कल,
कुछ यादें कुछ हुए छल,
तू कल जो भी था "आज" से उसका मतलब नहीं,
बस इतना की तू गलतियां सुधार सही...

माना, था तेरे मन में विचारों का कहर,
कह दे उस वक्त से बिता कल अब न ठहर,
अपनी जिंदगी तू आबाद कर,
खुद को कल से बेहतर तलाश कर...

आदतों को तेरी तू कल से बेहतर बना ले,
अपनी इच्छाओं को खुद में पनाह दे,
गलतियां सबसे होती है
अपने दिल में अच्छाई को जगह दे,
दूर नही तेरे जीत का डगर,
बस...
कल से कुछ बेहतर तलाश कर....

बिते हुए कल को बिते जमाना हो गया,
और तू उन्हीं उलझनों में खो गया,
बिता हुआ तेरा कल अब बदलने से रहा,
अब जाग जा ढूंढ ले अपने आज का " जहां "
शिथिल हो जायेगा तेरे दुखों का सागर,
बस ...
कल से कुछ बेहतर तलाश कर....

रोने का अब वक्त नही,
तू जीत जाए अभी तू उतना सशक्त नहीं,
मजबूत कर इरादे
दे दे अपने हौसलों को न रुकने के वादे,
तू एक दिन खुद पे जीत का जश्न मनाएगा मगर,
बस...
कल से कुछ बेहतर तलाश कर......

©Vanshika Chaubey
"रोज एक कविता"
#Day 8
© All Rights Reserved