यादों की किताब
आज मैंने यादों की किताब खोली,
तो कुछ दोस्त याद आ गए,
कुछ पुराने, कुछ नए,
सब दोस्त याद आ गए।
किस्से बहुत याद हैं,
लेकिन किसे याद कर के
हंसूं या रोऊं,
मन में उलझन सी है,
पर जो भी है,
बहुत यादगार पल सा है।
कब आएंगे ये दिन,
पता नहीं है,
पर यादों की किताब में
जरूर आएंगे ये दिन।
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