...

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कोई रात आ जाए
काश मेरी फिर वही पुरानी, रात आ जाए

वो मोहब्बत वाली लबों पे, बात आ जाए


अब तो हम,खुदको भी नहीं पहचान पाते

तुम कोशिश करो, तो कुछ याद आ जाए


अक्सर, घुटनों पर गिर जाती है मोहब्बत

जो इश्क़ के बीच में अगर,जात आ जाए


मोहब्बत साथ में थी, तो सर झुका लिया

अकेले में हो जिसकी औकात, आ जाए


यारो उस वक्त उठाना, तुम मेरा ज़नाज़ा

जब उसके दरवाज़े पर, बारात आ जाए


उसकी अदालत में,कोई तो मेरे जैसा हो

हो कर कोई बे गुनाह,गिरफ़्तार आ जाए


एसी क़ातिल है, उसके आंखों की चमक

वो जो पत्थर को देखे, तो दरार आ जाए


बुलाया है हमे,खत्म रिश्ता करने ले लिए

हम दुआ कर रहे है, हमे बुखार आ जाए


अपना सर भी, शोक से झुका लेंगे ( रावण )

सामने उसका घर,या कोई मज़ार आ जाए


© rahulchopra1120



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