वादे
#WritcoPoemChallenge
Into the flames rising out of a setting sun,
I draw in a deep breath before I run...
वादे यादें है पर पन्नों की तरह सादे है,
क्योंकि वो टूट जाते हैं बिखरकर छूट जाते हैं
खत्म हो जाते है वादे पन्नों की तरह होकर सादे।
वादे कस्में हैं पर रश्मो की तरह सिमट जाते है, ये रिश्तो में दब जाते हैं अधूरे हो या पूरे हमेशा याद आते हैं।
वादे खुदा की रजा है पर हमारी सजा है, कर तो लेते थे वादे हम रोज पर उसको तोड़ने का गम हर रात उठाते थे।
Into the flames rising out of a setting sun,
I draw in a deep breath before I run...
वादे यादें है पर पन्नों की तरह सादे है,
क्योंकि वो टूट जाते हैं बिखरकर छूट जाते हैं
खत्म हो जाते है वादे पन्नों की तरह होकर सादे।
वादे कस्में हैं पर रश्मो की तरह सिमट जाते है, ये रिश्तो में दब जाते हैं अधूरे हो या पूरे हमेशा याद आते हैं।
वादे खुदा की रजा है पर हमारी सजा है, कर तो लेते थे वादे हम रोज पर उसको तोड़ने का गम हर रात उठाते थे।