शिखर पर पहुंच कर
धूप में जलते पावों को,
उन बेबस से सवालों को,
उस मुंह पर बन्द हुए दरवाजों को,
जागी...
उन बेबस से सवालों को,
उस मुंह पर बन्द हुए दरवाजों को,
जागी...