मैं होती तेरी...
मैं अगर.....
लड़ सकती मैं तक़दीर से ,
तो माँग लेती तुझे...
मैं लड़ सकती हूँ दुनिया से मगर ,
अगर लड़ सकती जन्मदाताओं से...
तो पा लेती तुझे...
मैं कर देती त्याग महत्वकांक्षाओं का ,
अगर कर पाती कर्तव्यों का ;
तो साथ होती तेरे...
मैं छुपा लेती अश्रु मुस्कान की आड़ में,
अगर चूका पाती माँ की पीड़ा
और पिता के पसीना के कर्ज...
तो मैं होती तेरी....
© श्वेता श्रीवास
लड़ सकती मैं तक़दीर से ,
तो माँग लेती तुझे...
मैं लड़ सकती हूँ दुनिया से मगर ,
अगर लड़ सकती जन्मदाताओं से...
तो पा लेती तुझे...
मैं कर देती त्याग महत्वकांक्षाओं का ,
अगर कर पाती कर्तव्यों का ;
तो साथ होती तेरे...
मैं छुपा लेती अश्रु मुस्कान की आड़ में,
अगर चूका पाती माँ की पीड़ा
और पिता के पसीना के कर्ज...
तो मैं होती तेरी....
© श्वेता श्रीवास