...

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तुम
जिंदगी की उल्झन भी तुम,
उस उलझन का सुझाव भी तुम
मेरी संध्या भी तुम,
मेरी प्रभात भी तुम
कठौर पषाण भी तुम,
प्रेम का सार भी तुम
सुने दिल की बरकत भी तुम
स्थाई मन की हरकत भी तुम।
मीठा ज़हर भी तुम
नीर का कहर भी तुम
दिल में रहती भी तुम
दिल की धड़कन भी तुम
मेरे तन मन में तुम
पूर्ण समर्पण भी तुम
मेरी रूह है बसी तुम में
मेरी दर्पण भी तुम
मेरा दर्द भी तुम,
उस दर्द का आराम भी तुम |
मेरे शब्द शुरू भी तुमसे,
शब्दो पर पूर्णवीराम भी तुम |