तुम
जिंदगी की उल्झन भी तुम,
उस उलझन का सुझाव भी तुम
मेरी संध्या भी तुम,
मेरी प्रभात भी तुम
कठौर पषाण भी तुम,
प्रेम का सार भी तुम
सुने दिल की बरकत भी तुम
स्थाई मन की हरकत भी...
उस उलझन का सुझाव भी तुम
मेरी संध्या भी तुम,
मेरी प्रभात भी तुम
कठौर पषाण भी तुम,
प्रेम का सार भी तुम
सुने दिल की बरकत भी तुम
स्थाई मन की हरकत भी...