पग पग में परीक्षा खड़ी हैं
पग पग में परीक्षा खड़ी है,
उम्मीदें हो गयी उम्र से बड़ी है...!
कभी भर जाती है गागर चंद बूँदों में,
कहीं नाव मझधार में खड़ी है...!
पढ़ते है कसीदें जो कभी एहसास के,
आज उनके होंठो में ज़हर चढ़ी है..!
जो कभी मिलते थे दोस्त पुराने बचपन के,...
उम्मीदें हो गयी उम्र से बड़ी है...!
कभी भर जाती है गागर चंद बूँदों में,
कहीं नाव मझधार में खड़ी है...!
पढ़ते है कसीदें जो कभी एहसास के,
आज उनके होंठो में ज़हर चढ़ी है..!
जो कभी मिलते थे दोस्त पुराने बचपन के,...