...

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तुम...
वो गलतियों का पिटारा,
खोले ढेर कर दो तुम ।
पिछली खामियाँ गिना कर ,
सवेर कर दो तुम ।
रोते नहीं तो सोच न, की ना रोते है ,
इसे सोचे बिना गलतियों के तारे,
जोड दो तुम ।
नींदे तोड कर काटी है ,
नींदे बातों से तुम्हारे ।
उनको बे वजह ,
न बेवकूफी का,
मोड दे दो तुम ।
अपनी बातों पे तबज्जों ,
हमारी बे गौर ना कर दो तुम ।
कहो ना ज्यादती फिर,
और कर दो तुम ।
पहलू हमेशा दोना सही होते ,
पर अपने पर जोर कर दो तुम ।
इक्तियार- ए- बातों से, न
ये उलफतें कमज़ोर कर दो तुम ।
क़ाफिया बने में जो हम चुके है ,
रदीफे ही बना दो तुम ।
वो गलतियों का पिटारा,
खोले ढ़ेर कर दो तुम ।
पिछली खामियाँ गिना कर ,
सेवर कर दो तुम ।।


_ankesh

© ankesh