तुम...
वो गलतियों का पिटारा,
खोले ढेर कर दो तुम ।
पिछली खामियाँ गिना कर ,
सवेर कर दो तुम ।
रोते नहीं तो सोच न, की ना रोते है ,
इसे सोचे बिना गलतियों के तारे,
जोड दो तुम ।
नींदे तोड कर काटी है ,
नींदे बातों से तुम्हारे ।
उनको बे वजह ,
न बेवकूफी का,
मोड दे...
खोले ढेर कर दो तुम ।
पिछली खामियाँ गिना कर ,
सवेर कर दो तुम ।
रोते नहीं तो सोच न, की ना रोते है ,
इसे सोचे बिना गलतियों के तारे,
जोड दो तुम ।
नींदे तोड कर काटी है ,
नींदे बातों से तुम्हारे ।
उनको बे वजह ,
न बेवकूफी का,
मोड दे...