नव वर्ष
मुहब्बतों की दुनिया में, दिल-दिमाग की आँखो ने
इस साल दुःख की बदली हटाई हैं
हजारों उलझनों के घोसलों ने चौखट पर
धुंध भरी अंगड़ाई सी तोड़ी है
सुबह और शाम को साधे हुए इक दोपहर ने भी
नव वर्ष...
इस साल दुःख की बदली हटाई हैं
हजारों उलझनों के घोसलों ने चौखट पर
धुंध भरी अंगड़ाई सी तोड़ी है
सुबह और शाम को साधे हुए इक दोपहर ने भी
नव वर्ष...