...

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ठहरी जिंदगी में इच्छाओं के कंकर फेंको !!
ख्वाब तुम उम्मीदों से बढ़कर देखो ..
ठहरी जिंदगी में इच्छाओं के कंकर फेंको..
फिर जो लहर उठेगी जिंदगी के शांत जल मे
लिखा सुख-दुःख उसपे जरा सा पढ़कर देखो !!

यू ठहरें हुए हो दूषित हो जाओगे
एक दिन मौत की बाहों मे सो जाओगे..
जिन्दा हो तो नदी की तरह बहकर देखो
ठहरी ज़िन्दगी में इच्छाओं के कंकर फेंक !!

© shiveshpatel