ठुकराना मेरा मिजाज़ नहीं..
मैं रुसवा ताज इमारत से,
हर मोह भरी इबारत से,
तेरी दिलनशीन चाहत से,
ख्वाबीदा तेरी इजाज़त से...
यह दिल कमतरीन,
जुदा है इफ़्तिख़ार से..
मैं ना चाहूं...
हर मोह भरी इबारत से,
तेरी दिलनशीन चाहत से,
ख्वाबीदा तेरी इजाज़त से...
यह दिल कमतरीन,
जुदा है इफ़्तिख़ार से..
मैं ना चाहूं...