अनकही मोहब्बत
गुस्सा था, दर्द था; लोग थे, समय था।
हम कहते क्या? वो सुनते क्या?
कुछ ख़्वाब अग्नि से तौलते क्या!
दिल से बन कर मुख में रहा,
वो वाक्य अगर अंगड़ाई ले,
फिर आँखों से आँखों की बातें,...
हम कहते क्या? वो सुनते क्या?
कुछ ख़्वाब अग्नि से तौलते क्या!
दिल से बन कर मुख में रहा,
वो वाक्य अगर अंगड़ाई ले,
फिर आँखों से आँखों की बातें,...