...

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भूख

एक रोटी के टुकड़े को तड़पे वो नादान है.....
भूख का इलाज नहीं पर देश यह महान है.....
काहे दी गरीबी और लाचारी के बेहाल है.....
मौत आगे है खड़ी वो हो रहा निहाल है.....
भूख से लड़त वहा पर देखो वो कंगाल है....
एक रोटी के टुकड़े को तड़पे वो नादान है.....

वाह रे ओ ख़ुदा तूने बक्सी कैसी रेहमत है...
मेरे पास कुछ भी नहीं और दुसरो की बरकत है.....
कोसता हु खुद को मैं भी वाह रे कैसी क़िस्मत है....
मेरे पास कुछ भी नहीं दुसरो की बरकत है.....

मौत सामने खड़ी है कितना मैं निहाल...