...

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बंजर हो जाती है...🌹🌹✍️✍️( गजल)
बड़ी से बड़ी इमारत खंडहर हो जाती है
सुंदर से सुंदर सूरत भी बंदर हो जाती है

हर लड़की लाइन मारती है खिड़की पे आके
और हम देख ले तो अंदर हो जाती है

ऐसा क्या है हमारी शक्ल में 'सत्या' मेरे यार
जो भी लड़की देख ले छू मंतर हो जाती है

अमीरों के आगे इसका बस नहीं चलता
गरीबों के सामने दुनिया सिकंदर हो जाती है

जिनको याद तक नहीं आती हमारी जरा भी
उनकी याद में मेरी आंख समंदर हो जाती है

रौनक थी उनके दम से दिल की जमीन पर
माली चला जाए तो बगिया बंजर हो जाती है

© Shaayar Satya