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वह माँ है
वह माँ है=
एक पल भी नहीं कहीं दिखता है
जो मां के बिना कहीं दिखता है
चाहे कितना मां पर लिख जाए
मां खुद परिभाषा क्या कहा जाए।
कोई कलाकार चित्र से अपने
कोई शिल्पकार मूर्ति से अपनी
कितना प्यार करे और जताए
जानो तो मां का दिल देखा जाए।
मां उनके लिए पास ही होती है
मां उनके लिए खास ही होती है
मां जो तस्वीर में नहीं कहते हैं
मां जिनके एहसास में होती है।
दर्द मां कहने से हल्का होता है
देखा मैंने मां को मां पुकारते हुए
कोई परेशानी माँ को होती थी
मां कहकर लगती उसे छोटी थी।
यह कलयुग कलयुग न रहेगा
कहो सब कुछ माँ ही करती हैं
जब जब तुम मां पुकारते हो
ईश्वर से वह आवाज मिलती है।
वह मां है गुनाह माफ करती है
दो शब्दों से दिल साफ करती है
कह देती है उसे कुछ न हुआ
छिपकर दर्द का एहसास करती है।
मां को ईश्वर का ही दर्जा देते हो
हकीकत में मां ईश्वर ही हो जाए
अगर कहीं किसी मां की हत्या हो
हत्यारे को फांसी की सजा हो जाए।
पिता तब तब मुस्कुराया खुश हुआ
जब जब उसने माँ का जिक्र सुना
एक घर माँ ही तो बांधकर रखती है
पिता बड़ा हो पर माँ ने सबको सुना।
पूनम पाठक बदायूँ
09.05.21
इस्लामनगर बदायूँ उत्तर प्रदेश
© PPB
एक पल भी नहीं कहीं दिखता है
जो मां के बिना कहीं दिखता है
चाहे कितना मां पर लिख जाए
मां खुद परिभाषा क्या कहा जाए।
कोई कलाकार चित्र से अपने
कोई शिल्पकार मूर्ति से अपनी
कितना प्यार करे और जताए
जानो तो मां का दिल देखा जाए।
मां उनके लिए पास ही होती है
मां उनके लिए खास ही होती है
मां जो तस्वीर में नहीं कहते हैं
मां जिनके एहसास में होती है।
दर्द मां कहने से हल्का होता है
देखा मैंने मां को मां पुकारते हुए
कोई परेशानी माँ को होती थी
मां कहकर लगती उसे छोटी थी।
यह कलयुग कलयुग न रहेगा
कहो सब कुछ माँ ही करती हैं
जब जब तुम मां पुकारते हो
ईश्वर से वह आवाज मिलती है।
वह मां है गुनाह माफ करती है
दो शब्दों से दिल साफ करती है
कह देती है उसे कुछ न हुआ
छिपकर दर्द का एहसास करती है।
मां को ईश्वर का ही दर्जा देते हो
हकीकत में मां ईश्वर ही हो जाए
अगर कहीं किसी मां की हत्या हो
हत्यारे को फांसी की सजा हो जाए।
पिता तब तब मुस्कुराया खुश हुआ
जब जब उसने माँ का जिक्र सुना
एक घर माँ ही तो बांधकर रखती है
पिता बड़ा हो पर माँ ने सबको सुना।
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09.05.21
इस्लामनगर बदायूँ उत्तर प्रदेश
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