...

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अनुभव
#जून
चार जून की बात है
उसमें भी कुछ घात है
कौन बनेगा समय का साहु
किसके जनता साथ है ।
तोल तोल कर धन को बचाया
व्यर्थ समय भी नहीं गंवाया
लेकिन बंदरबांट हो गई
शेष सिर्फ ज़ज़्बात है ।
जज़्बातों की थाती है
ठोकर का ज्ञान कराती है
अनुभव का तू दीप जला
रात रोज आ जाती है ।
एक दिन तू भी अनुभव की
गठरी बांध के बैठेगा
लेने वाला कोई नहीं
प्रीत कहाँ रह जाती है ।