...

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( गजल)
मेरे आशियाने की बिखरी दरो- दिवार पर
तेरी यादों की तस्वीर को अब लगाना कहाँ है

बिछड़ गया तू चल कर चार कदम साथ
तेरे सिवा किसी और से आब निभाना कहाँ है

तूझ से ही तो कहा था राजे- दिल अपना
गैरो से दिल का दर्द अब बताना कहाँ है

रह गये है बस दूनियाँ में खून के ही रिश्ते
धड़कते थे जब रिश्ते साथ दिल के वो अब जमाना कहाँ है

कसमे- वादे सब टूट गये माटी के घरोंदे की तरह
हाथो मे हाथ नही कोई कसम अब उठाना कहाँ है

Sangeeta