ज़िन्दगी
कई दिन बीते कई शामें ढल गई
कितनी राते गुज़री फिर नया सवेरा हुआ
पर वक़्त कभी नहीं ठहरा...
कितने लोग आएऔर कितने चले गए
अपनों का साथ मिलाऔर प्यार भी मिला पर समय निकलता गया...
सच्चे मिले,अच्छे मिले और झूठे भी मिले...
ख़ुशियाँ भी मिली और गम भी मिला
साथ ही कभी...
कितनी राते गुज़री फिर नया सवेरा हुआ
पर वक़्त कभी नहीं ठहरा...
कितने लोग आएऔर कितने चले गए
अपनों का साथ मिलाऔर प्यार भी मिला पर समय निकलता गया...
सच्चे मिले,अच्छे मिले और झूठे भी मिले...
ख़ुशियाँ भी मिली और गम भी मिला
साथ ही कभी...