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बस यूँ ही...
इंसान जिंदगी में अगर, बुराई के आगे डर जाएगा
यकीन मानिए कि वो मौत से पहले ही मर जाएगा
तू क्यों बेमतलब रोता है आज अपनी नाकामी पर
कोशिशें करता रह देखना एक दिन निखर जाएगा
एक मौका जरूर मिलना चाहिए, संभलने के लिए
आखिर सुबह का भूला शाम को जरूर घर जाएगा
उस घर में हरगिज न रह जाएगी, कोई इज्ज़त तेरी
बेग़ैरत बार-बार उसके दरवाजे पर तू अगर जाएगा
बिल्कुल भी अफसोस न कर जालिमों की हंसी पर
देखना रोयेंगे, जब इनके पाप का घड़ा भर जाएगा
ज़माने भर को, सुधरने की सीख देते हैं जो ये लोग
ग़र ये खुद सुधर जाएं तो जमाना भी सुधर जाएगा
वतन परस्ती को रखता हूं, मैं दुनिया में सबसे ऊपर
फक्र होगा मुझे जब देश के लिए ये मेरा सर जाएगा
आज हम भले नजरअंदाज हों, जमाने की नजर में
देखना, कल हमें देखने के लिए सारा शहर जाएगा...
© Naveen Saraswat
यकीन मानिए कि वो मौत से पहले ही मर जाएगा
तू क्यों बेमतलब रोता है आज अपनी नाकामी पर
कोशिशें करता रह देखना एक दिन निखर जाएगा
एक मौका जरूर मिलना चाहिए, संभलने के लिए
आखिर सुबह का भूला शाम को जरूर घर जाएगा
उस घर में हरगिज न रह जाएगी, कोई इज्ज़त तेरी
बेग़ैरत बार-बार उसके दरवाजे पर तू अगर जाएगा
बिल्कुल भी अफसोस न कर जालिमों की हंसी पर
देखना रोयेंगे, जब इनके पाप का घड़ा भर जाएगा
ज़माने भर को, सुधरने की सीख देते हैं जो ये लोग
ग़र ये खुद सुधर जाएं तो जमाना भी सुधर जाएगा
वतन परस्ती को रखता हूं, मैं दुनिया में सबसे ऊपर
फक्र होगा मुझे जब देश के लिए ये मेरा सर जाएगा
आज हम भले नजरअंदाज हों, जमाने की नजर में
देखना, कल हमें देखने के लिए सारा शहर जाएगा...
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