...

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ऐक दिन हम हमारे जिंदगी को भी सजाऐंगे


ऐक दिन हम
सुबह की रोशनी से हम तारो को भी चमकाऐंग
रात अंधेरे से हम सूरज को भी रचाऐंगे
ऐक दिन हम
पाताल के माटी से बरसाऐंगे बुंदो को
आकाश के बुंदो से फेलाऐंगे माटी को
ऐक दिन हम
आँखो से हम मुस्कुराऐंगे
ओठो से हम नजराऐंगे
एक दिन हम
खुशबु से गाऐंगे
गीत से छाऐंगे
ऐसे ही हम
एक दिन हम
हमारे जिंदगी
को सजाऐंगे