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गज़ल
थामते जब हो मेरे हाथों को,
एक मिलता सकूं है सासों को।
तुम जो रहते हो सामने मेरे,
भूल जाता हूँ सारी बातों को।
कट गया दिन किसी तरह लेकिन,
कैसे तन्हा बितायें रातों को।
दिल ये तन्हा रहे भला कैसे,
साथ रखता हूँ तेरी यादों को।
तेरी सूरत उभर यूं आती है,
बंद करता हूं जब भी आंखों को।
© शैलशायरी
एक मिलता सकूं है सासों को।
तुम जो रहते हो सामने मेरे,
भूल जाता हूँ सारी बातों को।
कट गया दिन किसी तरह लेकिन,
कैसे तन्हा बितायें रातों को।
दिल ये तन्हा रहे भला कैसे,
साथ रखता हूँ तेरी यादों को।
तेरी सूरत उभर यूं आती है,
बंद करता हूं जब भी आंखों को।
© शैलशायरी
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