...

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मन‌ है बड़ा चंचल
कभी रुठ जाए
बिन मतलब की बातों से,
कभी ऊब जाए
अपने ही विचारों से,
कभी प्रसन्नता से खिल उठे
ना जाने किन बातों से,
ये मन है बड़ा चँचल.........

कभी आलोचना करे ख़ुद की,
कभी प्रशंसा करे रब की,
कभी सच्चाई से बेख़बर हो...